छिन्द में छुपा है बस्तर

छिन्द में छुपा है बस्तर.....! बस्तर में लगभग सब जगह छिन्द के पेड़ आपको दिखाई देंगे। यह खजुर की पेड की ही एक उप प्रजाति है। किन्तु खजुर से अलग है। यह पेड़ पांच फीट से चालीस फीट तक का ऊँचा होता है। अप्रेल के अंत में इन पेडो पर गुच्छो में फल लगने लग जाते है। बस्तर में इस फल को छिन्दपाक कहा जाता है। अभी पुरे बस्तर के छिन्द पेडो में हरे हरे छोटे छोटे छिन्दपाक लगे हुए है। ये फल मई माह के अंत तक पक जायेंगे। फल लगने से लेकर पकने तक ये फल तीन बार अपना रंग बदलते है, शुरूआत में हरा , मध्य में स्वर्ण की तरह पीला , और पकने पर भूरे कथ्थई रंग के हो जाते है। अभी कहीं कहीं छिन्द के फल पीले हो चुके है , जब सूर्य की रोशनी इन पीले छिन्द के गुच्छो पर पड़ती है तब ये फल सोने से बने फल जैसे लगते है। कहीं कहीं छिन्द पाक पक कर बाजारो में आ चुके है.। यह मीठा एवं खजुर की तरह होता है पर खजुर से भिन्न होता है। खजुर का आकार बड़ा होता है इसका आकार छोटा होता है। सुखने पर इसका खारक नहीं बनता है। छिन्द पाक को खाने से पानी प्यास बहुत लगती है। इसे सुखा कर भी रखा जाता है ताकि वर्ष भर खाया जा सके। छिन्द के पेडो से फल के अतिरिक्...