Posts

Showing posts with the label बाऊंसी बांसुरी

बाऊंसी बांसुरी

Image
हवा में लहराने वाली बाऊंसी बांसुरी....! बांसुरी की कर्णप्रिय मधुर ध्वनि हर किसी का मन मोह लेती है। नजरे उस ध्वनि के श्रोत की ओर अनायास ही दौड़ पड़ती है। बरसात के दिनों में गाय चराने वाले चरवाहे जंगलों में जब बांसुरी बजाते है तब पुरा जंगल बांसुरी की मधुर ध्वनि से आनंदित हो जाता है। मेले में तो बंशी वाला ही आकर्षण का केन्द्र होता है। हर कोई बांसुरी की ध्वनि की तरफ खिंचता चला आता है।  बस्तर अंचल में आदिवासियों के बीच नृत्य गीतों में अन्य वाद्यों के साथ.साथ कहीं.कहीं बांसुरी वादन भी परंपरा से चली आ रही है। विशेषकर धुरवा जाति में इसका प्रचलन अधिक है। परन्तु आवश्यकतानुसार सीमित स्वर बजाने का ही अभ्यास इन्हें रहता है। बस्तर में बांसुरी को बाऊंसी कहा जाताहै। यहां आदिवासी बांस के नाना प्रकार की उपयोगी एवं सजावटी वस्तुये बनाते है। उसमें से बांसुरी प्रमुख है।  आप सभी ने देखा होगा कि आमतौर पर बांसुरी मुंह से ही बजाई जाती है ,कुछ नाक से बजाने वाली बांसुरी भी होती है। बस्तर में इनसे इतर एक विशेष तरह की बांसुरी देखने को मिलती है जिसे बजाने के लिये मुंह या नाक से हवा देने की जरूरत नहीं पड़ती है।...