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नागों के भगवान विष्णु

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नागों के भगवान विष्णु......! बस्तर में 760 ई से 1324 ई तक छिंदक नागों की अलग अलग शाखाओं ने शासन किया। तत्कालीन नाग नृपतियों अपने राजत्व काल में अपने ईष्ट देव या देवी के अनेकों मंदिर बनवाये और कई प्रतिमायें स्थापित करवायी। नाग सोमेश्वर देव का राजत्व काल 1069 ई से 1108 ई तक था। नाग सोमेश्वर की माता एवं राजा धारावर्ष की पत्नी गुंड महादेवी भगवान विष्णु की परम भक्त थी। गुंडमहादेवी ने प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात के पास ही नारायणपाल ग्राम में 1111 ई में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनव ाया था। वह मंदिर आज भी सुरक्षित अवस्था में है। यह मंदिर बस्तर का एकमात्र विष्णु मंदिर है। मंदिर की स्थापत्य कला की चर्चा फिर कभी करेंगे। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की बेहद ही कलात्मक प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित है। इसकी उंचाई लगभग दो फिट है। काले प्रस्तर से निर्मित प्रतिमा समभंग मुद्रा में प्रदर्शित है। प्रतिमा चर्तुभुजी है। जिसमें उपर के दोनो हाथों में शंख एवं चक्र धारण किये हुये है। नीचे के दोनो हाथ खंडित है। सिर पर पांच सर्प फणों वाला छत्र है। प्रतिमा के दोनो तरफ उपर की ओर विद्याधरो...

हरिहर प्रतिमा

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  हरिहर प्रतिमा - चंद्रादित्य मंदिर बारसूर ओम सोनी             बारसूर में चंद्रादित्य मंदिर बाजार स्थल में विशाल तालाब के किनारे स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। गर्भगृह के प्रवेशद्वार के ललाटबिंब पर भगवान हरिहर की प्रतिमा अंकित है। पुरे छत्तीसगढ़ में एक मात्र यही मंदिर है जिसके प्रवेशद्वार पर हरिहर की प्रतिमा स्थापित है। हिन्दु धर्म में विष्णु (हरि) तथा शिव (हर) का सम्मिलित रूप हरिहर कहलाता है। इनको शंकरनारायण तथा शिवकेशव भी कहते है। विष्णु तथा शिव दोनों का सम्मिलित रूप होने के कारण हरिहर वैष्णव और शैव दोनो के लिये पूज्य है।               शिव और विष्णु ने अपनी एकरूपता दर्शाने के लिये ही हरिहर रूप धरा था, जिसमें एक हिस्सा विष्णु और दुसरा हिस्सा शिव का है। हरिहर की यह प्रतिमा समभंग मुद्रा में है। प्रतिमा में दाये तरफ सिर पर जटामुकुट और कानों में सर्पकुंडल धारण किये हुये है। बायें तरफ सिर पर किरीट मुकुट का अंकन किया गया है। यह प्रतिमा चर्तुभुजी है जिसमें विभिन्न आयुध सुशोभित है। दायें तरफ त्रिशुल और वरद ...