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विराने में, विराजित ब्रम्हा विष्णु महेश

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विराने में, विराजित ब्रम्हा विष्णु महेश  तत्कालीन चक्रकोट में छिंदक नागवंशी राजाओ ने बस्तर के कई स्थलों को अपने गढ़ों के रूप में विकसित किया था। इन गढ़ो की संख्या 84 से भी अधिक मानी गयी है। लगभग आज हजार साल बाद उन सामरिक गढ़ो के सिर्फ अवशेष ही प्राप्त होते है। अधिकांश गढ़ प्राकृतिक रूप से सुरक्षित है। ऐसा ही एक प्रमुख गढ़ था मिरतुर जो कि बीजापुर जिले के अंतर्गत बैलाडिला पहाडियो मे बसा एक छोटा सा गांव है।  ब्रम्हा, विष्णु और महेश उन छिंदक नागवंशी शासकों ने लगभग प्रत्येक गढ़ो में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था। उन मंदिरों में देवी-देवताओं की भव्य प्रतिमायें स्थापित रहती थी। समय के कालचक्र में वे मंदिर विभिन्न कारणों से नष्ट होते गये और धन की कमी के कारण वे मंदिर पुनः जीर्णोद्धारित नहीं हो पाये। उन मंदिरों के अवशेष बिखरते गये और सिर्फ बची रही गयी मंदिर की प्रतिमाये। उन प्रतिमाओं में से अधिकांश प्रतिमायें चोरी होती गयी। कुछ प्रतिमायें गांववासियों के देवस्थल होने के कारण सुरक्षित बची रह गयी।  आज बस्तर में अधिकांशत देवगुड़ियों में गणेश या शाक्त प्रतिमायें ही प्राप्त होती है। मिरतुर...