प्राचीन किला
बालोद के गौरवशाली इतिहास का साक्षी - प्राचीन किला.......! तांदुला नदी के तट पर स्थित बालोद शहर बेहद सुरम्यवादियों में बसा हुआ है। 2012 में बालोद दुर्ग जिले से अलग होकर नया जिला बना है। बालोद मेरा बेहद ही पसंदीदा स्थल है। बालोद में एतिहासिक एवं दर्शनीय स्थलों के साथ साथ छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का भी अदभूत संगम देखने को मिलता है। तांदूला जलाशय के निर्मल जल की तरह यहां के लोग भी स्वभाव से बेहद निर्मल एवं मिलनसार है। ससुराल होने के कारण बालोद से मेरा जीवन भर का जुड़ाव हो गया है जिसके कारण मैं यहां के प्रत्येक एतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल से धीरे धीरे परिचित हो रहा हूं। बालोद का इतिहास भी काफी गौरवशाली रहा है। यहां पर प्राचीन काल में कल्चुरी शासकों का शासन था। परवर्तीकाल में यहां पर स्थानीय गोंड शासकों का शासन भी रहा है। बालोद में गोंड राजाओं के काल में निर्मित बहुत से मंदिर एवं किले के अवशेष है। बालोद के बुढ़ापारा क्षेत्र में आज भी प्राचीन किले के अवशेष विद्यमान है। यहां बुढ़ातालाब में किले का 20 फिट उंचा प्रवेश द्वार आज भी सुरक्षित है। यह द्वार भी किले की चार दिवारी की तरह बहुत पहले...