दंडामी माड़िया

दंडामी माड़िया नृत्य.....! बस्तर में माड़िया जनजाति के नर्तक दलों का जादू बस्तर ही नही पुरी दुनिया में छाया हुआ है। उनके आभूषण, पहनावा, नृत्य मुद्राये सब कुछ बेहद आकर्षक लगता है। दंडामी माड़िया बस्तर के लगभग हर क्षेत्र में निवासरत है। दंडामी माड़ियों का नृत्य देखते ही बनता है। उनकी नृत्य शैली किसी का भी मनमोह लेती है। इस नृत्य को गौर माड़िया नृत्य भी कहा जाता है। मांदर की थाप जब कानों तक पहुंचती है तो पैर अपने आप थिरकने लग जाते है। दंडामी माड़ियों की नर्तक दल दो दलों में बंट कर नृत्य करता है। एक तरफ पुरूष एवं दुसरी तरफ महिलाये। दंडामी माड़िया पुरूषों की वेशभूषा बस्तर की पहचान बन चुकी है। सिर पर गौर के सींगों से बना हुआ आकर्षक मुकूट , उस पर पक्षियों के रंग बिरंगे पंख , सामने कौड़ियों की लटकती हुई लड़े, गले में लटका हुआ बड़ा सा ढोल (मांदर) ये सभी माडिया नर्तक को अलग पहचान देते है। वहीं माड़िया स्त्री दल में महिलायें लाल रंग के कपड़े, सिर पर पीतल का गोल मुकूट, गले में मोहरी माला, हाथों में बाहुटा, पहने होती है। ये सब इनके नृत्य में निखार लाते है। हाथों में लोहे की पतली सी छड़ी जिस पर लोहे की पत्त...