पणिहारियां

बस्तर की पणिहारियां......! आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाये सुबह शाम कुंये या हैंडपंप से पानी लाती हुई दिखाई पड़ती है। पानी लाने वाली महिलाओं के इस रूप को पणिहारी या पनिहारी कहा गया है। पनघट पर पनिहारी यह दृश्य अब सिर्फ गांवों में ही यदाकदा दिखाई पड़ता है। घर पहुंच नल कनेक्शन के कारण शहरों में पनिहारी संस्कृति अब विलुप्त हो चुकी है। ये दृश्य अब गांवों में भी धीरे धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है। आज के बच्चे तो यह पनिहारी शब्द को जानते भी नहीं है कि कभी उनकी दादी परदादी कुंओं से मटके भर भर पानी लाती थी। एक के उपर एक या दो ऐसे दो तीन घड़े एक साथ पानी लाने वाली पनिहारियां , यह बात अब तो आप कल्पना भी नहीं कर सकते है। गांवो में महिलाओं की तरह पुरूष भी घरो में पानी भरा करते थे। कावड़ में पानी ढोकर रोज 50-100 रू. कमा लेते थे। बोर एवं नल कनेक्शन के कारण यह काम तो बिल्कुल बंद ही हो गया है। सुर ताल के साथ तालमेल करती हुई, सिर पर घड़े रख नाचती हुई पनिहारियों का नृत्य भी अदभुत है। कई जगहों में पनिहारी के उपर बहुत से गीत भी प्रचलित है। पुराने फिल्मों में भी पनिहारी के दृश्यो को विशेष तौर पर दिखाया ...