बैलाडिला

बस्तर की पहचान - बैलाडिला......! बैलाडिला की लौह खदाने पुरे एशिया में बस्तर की पहचान है। बैलाडिला पर्वत श्रृंखला की अवस्थिति दक्षिण बस्तर के मस्तक पर तिलक के समान है। बैलाडिला नाम पड़ने के पीछे महत्वपूर्ण कारण है यह कि इसकी सर्वोच्च चोटी का आकार बैल के डीले अर्थात बैल के कुबड़ के समान है। जिसके कारण इस पर्वत श्रृंखला को बैलाडिला के नाम से जाना जाता है। बैलाडिला की पहाड़ियों पर राष्ट्रीय खनिज विकास निगम द्वारा 1966 से लगातार की जा रही है। बैलाडिला की लौहे खाने एशिया की सर्वश्रेष्ठ लौह खाने है। यहां का लौह अयस्क उत्तम श्रेणी का है इसमें लोहे की मात्रा 60 से 70 प्रतिशत तक पाई जाती है। किरन्दुल कोटवालसा रेलमार्ग द्वारा जापान और विशाखापटनम संयंत्र में लौह अयस्क का निर्यात किया जाता है। बैलाडिला की तलहटी में दो नगर बसे है पहला बड़े बचेली और दुसरा किरन्दुल। सामान्यत बोलचाल की भाषा में किरन्दुल के लिये बैलाडिला का प्रयोग किया जाता है जिससे अधिकांशत लोगो को बैलाडिला नामक अन्य नगर होने का भ्रम होता है। बैलाडिला पहाड़ी के कारण ही उस क्षेत्र को बैलाडिला की संज्ञा दी गई है। एक अनुमान के मुताब...