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Showing posts from March, 2017

हांदावाड़ा

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बस्तर का बाहूबली झरना - हांदावाड़ा जलप्रपात......! प्रकृति ने बस्तर में जी भर कर अपना सौंदर्य लुटाया हैं। अद्वितीय प्राकृतिक खुबसूरती ने बस्तर को सर्वोत्तम पर्यटन स्थल बनाया है। यहां की हरी भरी वादियां , गगनचुम्बी चोटियाँ  ,  खुबसुरत झरने किसी भी व्यक्ति का मनमोह लेते हैं। बस्तर में दंतेवाड़ा जिला भी पर्यटन स्थलों के मामले में अग्रणी  है। दंतेवाड़ा में जहां घने जंगलो में ऊँची पर्वत चोटी पर गणेश जी विराजित हैं वहां प्रकृति एवँ इतिहास का अनूठा संगम दिखाई देता हैं , इसके साथ ही विशाल, भव्यतम झरना हांदावाड़ा जाने का मार्ग भी दंतेवाड़ा से ही जाता है। बस्तर के युवाओं में और बस्तर को करीब से जानने वालों लोगों में ढोलकल के बाद हांदावाड़ा जाने की इच्छा देखने को मिलती है।  कुछ दिनो पूर्व यहां पर बाहूबली 2 की शूटींग की बात चली थी जिसके फलस्वरूप पर्यटकों में  हांदावाड़ा जलप्रपात को देखने की इच्छा अधिक हो गई।  अपनी इसी इच्छा के कारण स्थानीय लोगो ने इस जलप्रपात के सौंदर्य को करीब से निहारा हैं। हर सप्ताह यहां स्थानीय पर्यटको का मेला सा लगने लग गया था। यह जलप्रपात बाहुबली फिल्म ...

चन्द्रादित्य सरोवर बारसुर Chandraditya Sarovar Barsur

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सरोवर के किनारे, नागवंशी राजा जगदेकभूषण धारावर्ष और सामंत चन्द्रादित्य का वार्तालाप !! ज़रूर जाने चन्द्रसरोवर बारसुर के बारे में !! - ओम सोनी नागवंशियो का ऐतिहासिक ताल , जलक्रीड़ा करते उसमें बाल!! खिला किनारे उसके पलाश , बारसुर ने किया हैं मोहपाश !! छिन्दक नागवंशी शासको ने बस्तर में कई सदियो तक शासन किया हैं. आज के बारसुर को तत्कालीन छिन्दक नागवंशी शासको की राजधानी होने का गौरव प्राप्त हैं. नागवंशी शासनकाल में बारसुर बस्तर का सर्वाधिक बड़ा एवँ महत्वपूर्ण नगर था. विभिन्न शासको ने बारसुर में अनेको मन्दिरो एवँ तालाबो का निर्माण करवाया था. बस्तर भूषण के अनुसार मन्दिरो की संख्या 147 थी एवँ इतने ही तालाब भी बनवाये गये थे. सच में , बारसुर में 147 मन्दिर एवँ इतने ही तालाब ज़रूर रहे होंगे , इसमें ज़रा भी संदेह नहीं हैं.  आज भी कुछ मन्दिर सही अवस्था में विद्यमान हैं , कुछ ध्वस्त अवस्था में हैं , कुछ मन्दिरो के तल के अवशेष ही हैं , और कुछ तो अभी टीलो में दबे हुए हैं जो आज भी  दुनिया के सामने आने के लिये इंतजार में हैं. छिन्दक नागवंशी शासको ने मन्दिरो के साथ साथ जन कल्याण के लिये सैकड़ो ता...

भोंगापाल , बुद्ध और सम्मोहन चूर्ण !! Bhongapal Buddha

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भोंगापाल , बुद्ध और  सम्मोहन चूर्ण !! - ओम सोनी भोंगापाल में खुदायी में प्राप्त बौद्ध चैत्यगृह तथा मंदिरों के भग्नावशेष  बस्तर में बौद्ध भिक्षुओं के आवागमन तथा निवास के प्रमाणों को पुष्टि प्रदान करते हैं।भोंगापाल जहां खुदाई में बौद्धकालीन चैत्य मंदिर, सप्त मात्रीका मंदिर और शिव मंदिर के भग्नावशेष प्राप्त हुए हैं!! कोंडागांव जिले के केशकाल और कोंडागांव के मध्य स्थित फरसगांव से 16 किलोमीटर पश्चिम में बड़े डोंगर से आगे ग्राम भोंगापाल स्थित है। भोंगापाल से तीन किलोमीटर दूर तमुर्रा नदी के तट पर एक टीले में विशाल चैत्य मंदिर सप्तमातृका मंदिर और शिव मंदिर के भग्न अवशेष प्रापत हुए हैं। बौद्ध प्रतिमा टीले को यहां के स्थानीय लोग डोकरा बाबा टीला के नाम से भी जानते हैं!! सप्त मात्रीका  टीला या रानी टीला, बौद्ध प्रतिमा टीला से 200 गज की दूरी पर स्थित है। इसके अतिरिक्त यहां एक बड़ा शिव मंदिर एवं अन्य प्राचीन मंदिरों के भग्नावशेष हैं  किन्तु उनकी कोई प्रतिमा प्राप्त नहीं हुई है!! यहां से प्राप्त बौद्ध चैत्य तथा प्राचीन मंदिर 5-6वीं शताब्दी के हैं। चैत्य मंदिर का निर्माण एक ऊंच...