सातधार जलप्रपात Satdhar Watefall Barsur

बस्तर का भेड़ाघाट - सातधार जलप्रपात Satdhar Watefall Barsur
- ओम सोनी

इंद्रावती बस्तर की प्राणदायिनी नदी है। यह नदी उड़िसा के कालाहांडी से निकलकर भोपालपटनम के आगे गोदावरी में विलीन हो जाती है। इस नदी में दो जलप्रपात निर्मित है पहला जगदलपुर के पास विश्वप्रसिद्ध चित्रकोट एवं दुसरा ऐतिहासिक नगरी बारसूर के पास सातधार जलप्रपात।

सातधार जलप्रपात इतिहास और प्रकृति की सुंदरता का अदभुत मेल है। इसी नदी के आगे नागो की राजधानी बारसूर है। जहां आज भी कई ऐतिहासिक महत्व के मंदिर है। इस जलप्रपात के पास ही नागों के किले के निशान बिखरे पड़े है।
बारसूर के लगभग 04 किलोमीटर की दुरी सातधार गांव है। इस गांव के पास ही इंद्रावती नदी में अभुझमाड़ को जोड़ने के लिये पुल बना हुआ है। इस पुल से एक कच्चा मार्ग अबुझमाड़ के तुलार की तरफ जाता है। इस मार्ग में पुल से लगभग 01 किलोमीटर की दुरी पर इंद्रावती नदी में सातधार जलप्रपात बने हुये है।


इस स्थान में इंद्रावती नदी सात अलग अलग धाराओ में बंटकर  बेहद ही मनमोहक छोटे छोटे झरनो का निर्माण करती है। इस कारण यह गांव एवं जलप्रपात दोनो सातधार के नाम से जाना जाता है।
इंद्रावती के तीव्र वेग ने विशाल प्रस्तरों वाले इस जगह  को काटकर गहरी खाईयों में बदल दिया है। इन गहरी खाईयों के कारण इंद्रावती नदी जलधाराओं के रूप में बंटकर सात छोटे छोटे जलप्रपात बनाती है।
बरसात के दिनो में अत्यधिक मात्रा में जलराशि होने के कारण नदी इन जलप्रपातों की चटटानों से तीव्र वेग से टकराती है। जिसके कारण चारों तरफ पानी की फुहारें आसमान की तरफ उड़ती रहती है। इन फुहारों के कारण जलप्रपात वाले क्षेत्रों में वातावरण पुरी तरह से नम हो जाता है। बरसात में सातधार जलप्रपात का दृश्य नर्मदा के भेड़ाघाट जलप्रपात के समान ही मनमोहनी हो जाता है।

जनवरी फरवरी माह में जब नदी का पानी कम हो जाता है, तब इन गहरी खाईयों में बहती हुई जलधाराये चांदी के समान चमकती है। जलधाराओं का नीला रंग चांदी के समान सफेद हो जाता है।
हर मौसम मे इन जलप्रपातों की सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है। खासकर दिसंबर से मार्च तक का समय इस जलप्रपात के मनमोहक दृश्यों के देखने के लिये सबसे उपयुक्त है।

इस जलप्रपात के विकास के लिये अभी तक कोई ठोस कार्य या प्रचार प्रसार नहीं हुआ है जिसके कारण  अधिकांश पर्यटक नदी पर बने पुल से ही नदी के दृश्यो को सातधार समझ कर वास्तविक सातधार जलप्रपातों के देखे बिना ही लौट जाते है। जिला प्रशासन और पर्यटन मंडल को पुल से जलप्रपात तक पक्की सड़क बनानी चाहिये। जलप्रपात के पास ही पर्यटकों के विश्राम स्थल बनाये जाने की आवश्यकता है। बारसूर महोत्सव में मंदिरों के अलावा सातधार जलप्रपात को भी प्रमुखता से प्रचार किये जाने की महती आवश्यकता है।

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