तीरथगढ़ का गुरू जलप्रपात - मंडवा

तीरथगढ़ का गुरू जलप्रपात  - मंडवा 

ओम सोनी

बस्तर, एशिया के सबसे चौड़े जलप्रपात चित्रकोट एवं छ0ग0 के बड़े जलप्रपातो में से एक तीरथगढ़ जलप्रपात की असीम सुंदरता के कारण पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसके अलावा बस्तर में और भी अनेकों जलप्रपात है। जो चित्रकोट और तीरथगढ़ के जैसे बड़े आकार के तो नहीं है परन्तु अपने अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य में किसी भी प्रकार से कम नही है। जगदलपुर से गीदम राजमार्ग में मावलीभाठा ग्राम में मंडवा नाम का बेहद ही खुबसुरत जलप्रपात है। 


यह जलप्रपात तीरथगढ़ जलप्रपात की हुबहु नकल है। आकार में यह तीरथगढ़ जलप्रपात से बेहद ही छोटा है किन्तु इसकी खुबसुरती तीरथगढ़ जलप्रपात की तरह ही बेहद ही मनमोहनी है। सीढ़ीदार चटटानों से गिरता निर्झर मन को असीम शांति की अनुभूति देता है।


 इस निर्झर की मधुर ध्वनि हदय को प्रसन्नचित कर देती है।  दुर से सुनाई देती निर्झर की मधुर ध्वनि , इसके सौंदर्य दर्शन के लिये मन को बेहद ही आतुर कर देती है। बेहद ही शांत वातावरण में जलप्रपात की झलझल करती धाराये, खेतों में चहचहाते पक्षी रोजमर्रा की थकान को पल भर में दुर कर देते हैं। 


यह जलप्रपात मुनगा नदी में बना हुआ है। मुनगा और बहार नदियो के संगम उपरांत ही तीरथगढ़ जलप्रपात बना है। यह जलप्रपात लगभग 70 फीट की उंचाई का है। इस जलप्रपात में मुनगा नदी सीढीदार चटटानों से गिरकर हुबहु तीरथगढ़ जलप्रपात के जैसे झरने बनाती है। इस लिये इस मंडवा जलप्रपात को तीरथगढ़ जलप्रपात की गुरू जलप्रपात भी कहा जाता है। 


इसके सौंदर्य को निहारने के लिये जुलाई से लेकर जनवरी तक का समय सबसे अच्छा होता है। जगदलपुर से गीदम राजमार्ग में मावलीभाठा ग्राम स्थित है। इस ग्राम के पास ही मंडवा जलप्रपात है। स्वयं के वाहन से स्थानीय ग्रामीणों के मदद से यहां पहुंचा जा सकता है। साथ ही साथ मावलीभाठा के पास ही ढोडरेपाल के प्राचीन नाग युगीन मंदिरों का भी भ्रमण किया जा सकता है। 

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