भैरमगढ़, एक भुला दिया गया एेतिहासिक स्थल

भैरमगढ़, एक भुला दिया गया एेतिहासिक स्थल!!
बस्तर में , भैरव की सबसे बड़ी प्रतिमाये !!

                                                                                                                                                                                                                                                ओम सोनी

बस्तर की खोज एक कभी ना खत्म होने वाली खोज हैं. बस्तर एक अथाह गहरा समुन्दर हैं इसमें ज़ितने बार भी गोते लगाओ , हर बार सुन्दर मोती पाओगे. बस्तर में नागवंशियो ने लम्बे समय तक शासन किया. नागो में अनेक शासक हुए अौर उन शासको ने बस्तर में अलग अलग जगहो में अपनी राजधानी बनायी.



बस्तर में एक ऐसा ही एक बेहद अल्पग्यात एतिहासिक स्थल हैं ज़िसे कभी नागो की राजधानी का गौरव प्राप्त था. उस नगर में आज भी बहुत से पुराने मन्दिर , मुर्तियां बिखरे पड़े हैं. बारहवी सदी में नाग राजा नरसिंह देव की राजधानी भैरमगढ़ आज बेहद महत्वपूर्ण एतिहासिक स्थल होते हुए भी पुरी तरह से उपेक्षित हैं.
भैरमगढ़ ततकालिन नाग शासन में बेहद महत्वपूर्ण नगर था. यह नगर आज आपने आप में बहुत सारा इतिहास समेटे हुए हैं. यहां के हर चटटानो पर आपको ऊकेरी गयी देव प्रतिमाओ के दर्शन हो जायेगे, झाडियो में आपको उन पुराने मन्दिरो के अवशेष चीखते नजर आयेंगे जो कभी श्रधालुओ के भीड से गुलजार रहते थे. आज इनकी यह हालत देखकर बेहद तरस आता है.
भैरमगढ़ ,जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता हैं भैरम का गढ़. यहां बस्तर में भैरव ही भैरम हो गये हैं. भैरमगढ़ में एक चट्टान पर भैरव की विशाल प्रतिमा ऊकेरी गयी हैं. यहां ग्रामीणो ने इस पर मन्दिर बनवा दिया हैं. मन्दिर के बाहर पेड के नीचे लगभग पांच फीट ऊँची भैरव की प्रतिमा स्थापित हैं. दो चौकोर शिलाओ पर चरणो के निशान ऊकेरे गये हैं. मन्दिर के पीछे एक विशाल तालाब हैं. यह तालाब भी उसी समय का हैं.

सवाल यह हैं कि बस्तर में बारसुर के बाद सर्वाधिक एतिहासिक मन्दिरो वाला यह भैरमगढ़ आज भी सबकी नजरो से ओझल क्यो हैं. बारसुर के एतिहासिक स्थल , चित्रकोट , तीरथगढ़ , दंतेवाड़ा आदि स्थानो को छतीसगढ़ के पर्यटन में प्रमुखता से बढ़ावा दिया जाता रहा हैं जबकि भैरमगढ़ को बिलकुल भुला दिया गया. जबकि बारसुर के गणेश प्रतिमाओ के समान यहां के भैरव की विशाल प्रतिमाये पुरे छत्तीसगढ़ में नही होगी.
भैरमगढ़ को छत्तीसगढ़ के पर्यटन नक्शे में स्थान मिलना चाहिये. यहां भी बारसुर महोत्सव के समान भैरमगढ़ महोत्सव होना चाहिये. सुन रहे हो ना भैरमगढ़ वालो , बीजापुर वालो , ब्राण्डिंग करो भैरमगढ़ की पुरी दुनिया में....

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