बस्तर की पेय पहचान - सल्फी
बस्तर की पेय पहचान - सल्फी !!
ओम सोनी
आप में से शायद ही किसी ने सुना हो कि किसी पेड़ से आनन्ददायक पेय मिलता हो , तो आपका जवाब होगा ना , लेकिन बस्तर मे ऐसे पेड़ पाये जाते है जिससे ऐसा रस मिलता है और उस रस को बेचने से आदिवासियों का अच्छी खासी आ्मदनी होती हैा बस्तर में ताड़ की तरह उंचे पेडो को सल्फी कहा जाता है.यह पेड़ ताड़ की एक प्रजाति कारयोटा युरेंस हैा
वैसे पुरे बस्तर में सल्फी के पेड़ बहुतायत में पाये जाते है किन्तु कुछ सालों में आक्सीफोरम फिजिरियस फंगस के कारण ये पेड़ सुखने लगे जिससे इनकी संख्या मे अच्छी खासी कमी आयी हैा किन्तु अब फिर से आदिवासी सल्फी के पेड़ लगाने लगे है. 10 साल में सल्फी के पेड़ रस देने लगते है. एक पेड़ से सालाना 50 हजार तक की कमाई हो जाती है. जिस किसी के पास 4 से 5 पेड़ उसे सालाना ढाई तीन लाख की आमदनी हो जाती है.
इनसे लगभग साल भर रस प्राप्त होता हैा सल्फी के पेड़ में गुच्छेदार हरे हरे फूल लगता है जिसे पोंगा कहा जाता है. उस पोंगा को काट देते है जिससे वहां से निकलने वाले रस को हंडी में इकठठा किया जाता है.
यह पेड़ लगभग 40 फिट उंचा होता है जिस पर हंडी लटकाना और उसमें रस निकालना कोई आसान काम नहीं हैा बिना किसी सीढी के 40 फिट की उंचाई पर बांस के सहारे चढने में जान जाने का खतरा होता है. कई ग्रामीण सल्फी के पेड से गिरकर अपनी जान गंवा चुके है. सल्फी के पेड़ से रस निकालने में एक व्यक्ति ही नियत होता है हर बार वही व्यक्त्िा ही रस निकालता है. रस निकालने के पहले अपने देवता की पूजा की जाती है.
सल्फी का ताजा रस स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है. बीयर की तरह हल्का नशा होने के कारण यह बस्तर की बीयर या देशी बीयर के नाम से प्रसिद्ध है. रस बासी होने पर खमीर उठना शुरू हो जाता है और इसके सेवन से नशा होने लगता हैा
बस्तर में लडकियों को शादी में सल्फी के वृक्ष दहेज में दिये जाते है. जिससे आजीवन होने वाली कमाई पर लडकी का ही अधिकार होता है.
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