गनमन तालाब का शिव मंदिर, बारसूर
गनमन तालाब का शिव मंदिर, बारसूर
बारसूर के भूले बिसरे मंदिर !
बारसूर आज का बसा कोई आम नगर नही है . यह तो सदियों पुराना शहर है. प्राचीनकाल में इस बारसूर को बाणासुर की राजधानी होने का गौरव प्राप्त था . विभिन्न राजवंशो के शासको ने यथा गंगवंशीय ,नागवंशियों ने इसे अपनी राजधानी बना कर सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक रूप से सवारा है.
एक अनुमान के मुताबिक बारसूर में 147 छोटे बड़े मंदिर हुआ करते थे और साथ ही इतने ही तालाब . किन्तु समय की मार के कारन बमुश्किल 7 से 8 मंदिर एवं इतने ही तालाब शेष रह गए है . कुछ प्रयासों से गणेश मंदिर , मामा भांजा मंदिर और बत्तीसा मंदिर आज फिर से आस्था के केंद्र बन चुके है.
किन्तु आज भी बारसूर में ऐसे कुछ मंदिर और उनके अवशेष फिर से अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त करने के लिए जीर्णोद्धार की बाँट जोह रहे है . उनमे से गनमन तालाब का शिव मंदिर प्रमुख है. बहुत कम लोगो को ज्ञात है की गणेश मंदिर के पीछे की तरफ लगभग 200 मीटर की दुरी पर घनी झाड़ियो से घिरे हुए तालाब के मध्य एक शिव मंदिर स्थित है .
वर्तमान में इस तालाब को गनमन तालाब के नाम से जाना जाता है . नागवंशी शासको द्वारा तालाब के बीचोबीच शिव मंदिर के निर्माण कराया गया था .यह मंदिर अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चूका है . वर्तमान में इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग और एक स्तम्भ एवं नीचे का आधार सुरक्षित है .
यह मंदिर स्तम्भो पर आधारित रहा होगा .जिसमे से एक स्तम्भ आज भी सुरक्षित खड़ा अपने जीर्णोद्धार की इन्तजार कर रहा है. आज इस मंदिर में पूजा तो दूर विभिन जलीय पक्षी अपना निवास स्थान बनाये हुए है .
वर्तमान में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कर फिर से इस मंदिर को अपने मूल अवस्था में लाया जाये . तालाब तक जाने के लिए सड़क का निर्माण किया जाये.
.....ओम सोनी
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