लोक देवताओं के आपसी संबंध
लोक देवताओं के आपसी संबंध......!
हर क्षेत्र विशेष में वहां के स्थानीय निवासियों के अपने देवी देवता होते है। प्रत्येक शुभ कार्य उनकी अनुमति से ही होते है। हर धार्मिक कार्यक्रम में लोक देवी देवता की उपस्थिति अनिवार्य रूप से होती है।
बस्तर के जनजातीय समाज में लोक देवी देवताओं की पूजा की जाती है। प्रत्येक ग्राम में उनके देवी देवताओं का स्थान होता है। हर गोत्र के अनुसार सभी जनजातीय समाज के अपने अपने देवी देवता होते है। डंगईया, प्रतिमायें, काष्ठ स्तंभ या सिर्फ सिंदुर से सने हुये प्रस्तर लोक देवी देवताओं के प्रतीक के रूप में पूजे जाते है।
ग्राम में एक देवगुड़ी होती है जो कि देवताओं का पवित्र स्थान होती है। यह कच्चे घास फूंस या पक्के मंदिर स्वरूप में भी होती है। इन्हे देवगुड़ी या पंडवाल भी कहते है। प्रत्येक ग्राम के देवता की उत्पत्ति से संबंधित लोक कथाये होती है।
गांव में होने वाले हर शुभ कार्य एवं धार्मिक उत्सव इनकी सहमति एवं आराधना से ही संपन्न होता है। प्रत्येक वर्ष देवताओं के सम्मान में जात्रा एवं मंडईयां आयोजन की जाती है। किसी भी गांव में होने वाले मेले में आसपास के सभी लोक देवता शामिल होते है। मुख्य पुजारी उनका प्रतीक लेकर मेले मे स्वयं जाता है। मेले में उस ग्राम के देवता की तरफ से अन्य ग्रामों के देवताओं को निमंत्रण भेजा जाता है। कई मेलों में तो देव की उपस्थिति बेहद ही अनिवार्य होती है उनके आगमन के बिना मेला होता ही नहीं है। मेले में नाच गाना उत्सव होता है। मेले के बाद सभी देवी देवताओं को ससम्मान विदाई दी जाती है।
आदिवासी मान्यताओं मेंलोक देवताओं के आपसी संबंध भी हम मनुष्यों की तरह ही होते है। बीजापुर में अभी कुछ दिनों पूर्व चिकटराज मेला संपन्न हुआ है। चिकटराज बाबा बीजापुर क्षेत्र के लोक देवता है। चिकटराज बाबा के चार भाई है। इनमें सबसे छोटे भाई कोंडराज बाबा बीजापुर, बमड़ा बाबा चिन्नाकवाली, पोतराज चेरपाल एवं कनपराज गोंगला ग्राम के देव है। इन पांचो भाईयों के पिता धर्मराज एवं माता धूरपूता देवी पुजारी कांकेर में विराजित है। वे वहां के देव है। इस प्रकार लोक देवी देवताओं के आपसी संबंध होते है।
मां दंतेश्वरी की कई बहने है जो कि विभिन्न ग्रामों में विराजित है। नंदराज (बैलाडिला पर्वत पर विराजित ) मां दंतेश्वरी का बेटा है। भांसी के हुर्रेमारा मां दंतेश्वरी के दामाद है। हुर्रेमारा भांसी में अपनी पत्नी मावोलिंगों के साथ विराजित है। मां दंतेश्वरी (सास) और हुर्रेमारा (दामाद) की आपस में बनती नहीं है। दोनो अब तक एक दुसरे से नाराज है। यहां की आदिवासी मान्यताओं में भैरम बाबा को मां दंतेश्वरी के पति माना जाता है।
आधुनिक समाज की तरह लोक देवताओं के भी आपसी रिश्ते नाते है। इनका पुरा परिवार होता है जिसके विभिन्न सदस्य अलग अलग ग्रामो मे पूजे जाते है। ये हमारी तरह लड़ते है, नाराज होते है, एक दुसरे को मनाते है। एक दुसरे के उत्सवों में सम्मिलित होते है। यहां के लोकदेवताओं की कहानियां बेहद ही रूचिपूर्ण होती है। इन्हे जितना समझो उतने ही उनके रिश्ते नाते एवं अदभुत कथायें जानने को मिलती है।
उपरोक्त जानकारी को कापी पेस्ट करके अपने वाल या पेज पर ना पोस्ट करें। इसे अधिक से अधिक शेयर करे।
Comments
Post a Comment