"गढ़" और "गढ़िया"
"गढ़" और "गढ़िया" ......!
विश्व विरासत दिवस पर विशेष !
मैने जोधपुर के मेहरानगढ़ किले को कई बार देखा है। आप में से कुछ लोगो ने इसे जरूर देखा होगा। कितना विशाल , भव्य एवं अभेद्य सुरक्षित किला है यह. यह किला विश्व का सबसे ऊँचा किला है. इसे जीतना हर किसी के लिये संभव नही था.
इस किले को देखकर मुझे प्राचीन बस्तर मे राजाओ के आवास को जानने की इच्छा होती है. हालांकि बस्तर से जुडी किताबो मे यहां के किलो य़ा महलो की चर्चा कम ही मिलती है।
लगभग दो हजार साल पहले बस्तर मे आदिवासी कबीलो का उल्लेख मौर्य राजाओ के लेखो मे मिलता है. वे आदिवासी आज की तरह ही जंगलो मे छोटे छोटे समुहो मे रहा करते थे. सातवाहनो के समय कमोबेश यही स्थिती रही होगी. उसके बाद तीसरी सदी से लगभग आठवी सदी तक बस्तर मे नल वंश के राजाओ ने राज किया. नल राजाओ के महल पक्की इंटो के बनते थे. जैसे हम आज के पक्के मकान मे रहते है लगभग वैसे ही उनके महल होते थे. गढधनोरा मे नल राजाओ के टीलो से निकले आवासीय संरचना यही संकेत देते है. मन्दिर , घर सब इंटो से ही बनते थे. छत घास फुस की होती थी. नलो के अधिकांश बस्तियां ऊँचे मैदानी क्षेत्र मे य़ा नदी से घिरे टापू पर होती थी. किंतु आक्रमण की दशा मे ज्यादा सुरक्षित नही होती थी.
अब बात करते है नागो की. इनकी शासन अवधि 760 ई से 1324 ई तक थी. इन्होने पुरे राज्य को 100 से अधिक गढो मे बांट दिया. ये गढ़ प्राकृतिक रुप से सुरक्षित होते थे. चारो तरफ से ऊँचे पहाड़ो एवं गहरी खाईयो से घिरे हुए होते थे. सिर्फ चुनिन्दा कुछ गढ़ो मे ही पत्थरो के किले बने हुए थे. किले की दिवारे 20 फीट तक ऊँची होती थी. इन किलो के चारो तरफ खाईया होती थी. किले के दीवारो के अन्दर पत्थरो के बने बने छोटे छोटे कमरे होते थे. गढ़ की प्राकृतिक सुरक्षा दिवारे ऊँची पहाड़िय़ां होती थी जिस पर धनुर्धर तैनात रहते थे.
मेहरानगढ़ के समान ऊँचे किले बस्तर मे कहीं भी नही है. हाँ कांकेर के गढ़िय़ा पहाड पर बना किला बस्तर का सबसे ऊँचाई पर बना किला हो सकता है। परंतु यह किला ना होकर सिर्फ चार दिवारी थी जो कि अब पुरी तरह से नष्ट हो गई , बचा है सिर्फ उसका द्वार.
दरअसल बस्तर को ऐसे मेहरानगढ़ जैसे किलो की ज़रूरत ही नही पड़ी क्योकि बस्तर की भौगोलिक स्थिती इसे एक मजबुत प्राकृतिक किला बनाती है. यहां मैदानी क्षेत्र का अभाव है. चारो तरफ ऊँची पर्वत चोटिय़ां , सैकड़ो फीट गहरी खाईया ये बस्तर की प्राकृतिक सुरक्षा दीवारे है. इसे पार कर पाना किसी भी हमलावर के वश की बात नहीं थी.उनके लिये यहां का मौसम भी प्रतिकूल होता था. इन प्राकृतिक सुरक्षा दिवारों को पार करने मे ही शत्रु सेना विफल हो जाती थी , यदि पार हो भी गई तो बस्तर मे प्रविष्ट होते ही उन पर तीरों की बौछार हो जाती थी. इन प्राकृतिक रुप से सुरक्षित गढ़ो के कारण नाग लम्बे समय तक बस्तर मे राज करने मे सफल रहे.
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