दुर्लभ हो चुकी डूढूम मछली

बस्तर में दुर्लभ हो चुकी डूढूम मछली.....!


नदियों में पाये जाने वाले जलीय जीवों को खाने से शरीर रोगमुक्त रहता है, इसी मान्यता के चलते बस्तर में बहुत से जलीय जीवों को प्रमुखता से एवं बड़े शौक से खाया जाता है। इन जीवों में मछली, केकड़ा, झींगा आदि है। मछली की कई प्रजातियां बस्तर के नदियों में पायी जाती है। इनमें से एक मछली है जो देखने में बिलकुल सांप के जैसी डरावनी लगती है परन्तु रोगों के दवा के रूप में इस मछली को चाव से खाया जाता है। यह मछली है डूढूम मछली।
यह मछली ईल मछली की एक प्रजाति है। ईल मछलियों में कुछ मछलियां जोरदार करंट का झटका भी देती है। परन्तु डरिये मत इस मछली को पकड़ने से करंट का झटका नहीं लगता वरन सांप जैसी दिखने के कारण डर जरूर लगता है।
नदी नालों के खोह में रहने वाले डुढूम मछली अब विलुप्ति के कगार पर है। बरसात के दिनों में ये मछलियां अपने खोह से निकलकर नदियों के खुले पानी में आ जाती है। जिस कारण उस समय इन मछलियों का अत्यधिक शिकार किया जाता है। जिससे यह डुढूम मछली अब बस्तर में दुर्लभ हो चुकी है।



यह मछली आकार में बिलकुल सांप की तरह दिखाई देती है। पहली बार देखने से तो यह मछली कम सांप ही ज्यादा लगती है। स्थानीय स्तर पर इसे डुढूम या कोचिया मछली के नाम से भी जाना जाता है।
आम तौर पर यह मछली नदी नालों के कीचड़ भरे खोह में रहती है जिसके कारण इसे पकड़ना आसान नही होता है। बस्तर में अक्सर मछुआरे कीचड़ भरे गढडो में इन मछलियों को पकड़ते हुये दिखाई देते है।
बारिश के दिनों में नदियो में बाढ़ आने के कारण यह बाहर आती है तब बड़े पैमाने में इसको पकड़कर मछुआरे बाजार में बेचने के लिये लाते है। इसके औषधीय गुणों के कारण ग्रामीण बड़े चाव से इसे खाते है। इसे खाने वालों का मानना है कि यह मछली खाने से ह्दय रोग, टी0बी0, अस्थमा जैसे रोगों का असर कम होता है। इसके खुन का उपयोग कुछ लोग मालिश करने के लिये भी करते है।
समय रहते इन मछलियों के संरक्षण में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, अन्यथा यह मछली बस्तर के प्राकृतिक पर्यावास से पुरी तरह से विलुप्त हो जायेगी।


मैने मावलीभाठा के पास एक सुखे हुये तालाब में कुछ स्थानीय मछुआरों में को यह डूढूम मछली पकड़ते हुये देखा तो उनमें से एक युवा पढ़ा लिखा था। वह इन मछलियों को पकड़ते हुये एक छोटा सा गाना गुन गुना रहा था। मैने उसको गाते हुये वीडियो रिकार्ड कर लिया था। उसके गाने के बोल कुछ इस तरह से है :-
डूढूम डूढूम, डगर डगर
मिले ना मुझको इधर उधर
दिन भर ढूंढता हूं नालों मे,
मिले तो मुझको खा लू मैं

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