भूपालेश्वर महादेव
सागर में शिव .....भूपालेश्वर महादेव !
बस्तर में जगदलपुर सबसे बड़ा शहर है। लगभग ढाई सौ साल पहले बस्तर के काकतीय चालुक्य राजा दलपतदेव ने जगदलपुर की नींव रखकर अपनी राजधानी बनाई। महाराज दलपतदेव ने राजधानी जगदलपुर में विशाल तालाब खुदवाया जो कि महाराज के नाम पर ही दलपतसागर के रूप में प्रसिद्ध है।
महाराज दलपत देव के चार पांच पीढ़ियो बाद बस्तर के राजा बने भूपालदेव। इनकी शासन अवधि 1842 से 1853 ई. तक मात्र ग्यारह वर्ष थी। महाराज भूपालदेव भगवान शिव के परमभक्त थे। इन्होने अपनी रानी वृंदकुंवर बघेलिन की प्रेरणा से दलपत सागर के मध्य शिवमंदिर बनवाया था। यह मंदिर उनके नाम पर भूपालेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह छोटा सा शिवमंदिर दलपतसागर के मध्य में एक टापू पर स्थित है। यहां सिर्फ नाव द्वारा ही पहुंचा जा सकता है।
महाराज भूपालदेव को लगभग 34 वर्ष की उम्र में पुत्र भैरमदेव के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। पुत्र प्राप्ति को भगवान शिव का आर्शीवाद मानते हुये उन्होने दलपत सागर के मध्य यह शिवमंदिर बनवाया था। लगभग 170 वर्ष से अधिक पुराना यह मंदिर बस्तर के काकतीय चालुक्य राजवंश की कुछ चुनिंदा स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है।
सन 1962 तक इस मंदिर तक पहुंचने के लिये डोंगी की व्यवस्था रहती थी। अब महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं के लिये नगर निगम द्वारा मंदिर तक पहुंचने के लिये बोट की सुविधा रहती है। यह मंदिर एक टापू पर है। इस पर बहुत से हरे भरे वृक्ष लगे हुये है जिसके कारण यह टापू विभिन्न पक्षियों का आदर्श रहवास स्थल बन गया है। यह स्थान बेहद ही रमणीक एवं मनभावन दृश्यों से युक्त है। यह लेख किसी की बौद्धिक संपदा है। इसे कापी पेस्ट करके अपने वाल या पेज पर पोस्ट ना करें।
Comments
Post a Comment