चटाई
मसनी घास की चटाई.....!
दोस्तों लोहंडीगुडा की यह बुढ़ी महिला चटाई बना रही है। घरों में अब ऐसी परंपरागत चटाई का स्थान प्लास्टिक के मैट ने ले लिया। यह चटाई एक तरह के घास जो स्थानीय तौर पर मसनी धास के नाम से जाना जाता है, उस घास को तोड़कर यह चटाई बनायी जाती है। इसे बोता मसनी भी कहा जाता है।
लकड़ी के सांचे में चटाई बुनाई का कार्य किया जाता है। अब चटाई बनाने का यह काम प्लास्टिक के मैट के वजह से लगभग बंद सा हो गया है। घरों में अब मसनी घास की यह चटाई देखने को भी नहीं मिलती सब जगह प्लास्टिक की मैट ही मिलती है। यह चित्र लोहंडीगुडा की एक महिला का है जो घर में मसनी घास की चटाई बनाती है। फोटो दिया है अंकिता अंधारे जी ने।
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