गुफा कुटूमसर की

जानी सी अनजानी सी - गुफा कुटूमसर की ......!
बस्तर की पर्याय बन चुकी कुटुमसर गुफा भारत की पहली एवं विश्व की सातवी सबसे बड़ी भूगर्भित गुफा है. गुफाओ से जुड़ी शायद ही ऐसी कोई चर्चा होगी ज़िसमे कुटुमसर गुफा की बाते ना हो. चुना पत्थर की अद्भूत प्राकृतिक कलाकृतियो के कारण पूरे विश्व मे यह अपनी अनूठी पहचान लिये है.

उन कलाकृतियो को देखने से ऐसे लगता है मानो प्रकृति ने चांदी के झुमर लटका रखे हो , हलकी सी रोशनी जब इन रजत झुमरो पर पड़ती तब इस गुफा मे चांदी की चमक चारो तरफ फैल जाती है। पर्यटक के मूँह से अनायास ही शब्द निकल आता है " वाह ". प्रकृति ने जी भर कर सौंदर्य लुटाया है गुफा मे.


कांगेर घाटी के कोटमसर गांव मे प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य के गोद मे यह गुफा अवस्थित है. गुफा का मुहाना संकरा है. 60 फीट नीचे जब सीढ़ियो से उतरकर गुफा मे प्रवेश करते है तब ऐसा अनुभव होता है जैसे हम अनंत अंधकारमयी पाताल लोक मे प्रवेश कर रहे है. यह 4500 फीट से अधिक लम्बी है. इसमे कई कक्ष है. इसके अन्दर कई अन्य गुफाये है जो कई किलोमीटर लम्बी है.
जगह जगह बने प्राकृतिक शिवलिंग गुफा मे आध्यात्म का दीपक जलाते है. गुफा मे बहती धाराओ की कल कल मधुर ध्वनि नया संगीत सुनाती है.


इस गुफा की खोज डा. शंकर तिवारी ने 1958 मे की थी. तत्कालीन समय मे विभिन्न अभावो के बावजुद शंकर तिवारी ने इस गुफा की खोज कर बस्तर का नाम पुरे दुनिया में मशहुर कर दिया. इस गुफा मे पायी जानी वाली अंधी मछलियां कैपीओला शंकराई के नाम से जानी जाती है।इसके अलावा सर्प , मेंढक ,चमगादड़ , मकड़ियो की कई दूर्लभ प्रजातियां इस गुफा मे पायी जाती है। यह गुफा पास के गांव कोटमसर के नाम पर ही कुटुमसर य़ा कोटमसर गुफा के नाम से विश्व विख्यात है

गुफा मे छत से लटके झुमर हजारो सालो मे चुने एवं पानी से मिलकर तैयार हुए है. छत से नीचे लटके हुए झुमर स्टेलेग्टाईट एवं तल से ऊपर की ओर ज़ाते प्राकृतिक स्तंभ स्टेलेग्माईट कहलाते है.


गुफा भीतर से राजमहल की तरह लगती है. इस प्राकृतिक राजा प्रसाद मे प्रकृति ने जी भर कर चित्रकारी की है , चांदी के झुमरो को सजाया है , मनमोहक आकृतियां ऊकेरी है. इन प्राकृतिक नक्काशियो को पहली बार देखने वाला हर कोई अवाक रह जाता है। शंकर तिवारी जी के बाद भी गुफा मे अौर भी नये कक्ष खोजे गये है जो की पर्यटको के लिये बन्द है.


प्रस्तुत चित्र कुटूमसर गुफा के अन्दरूनी नयी गुफा की है ज़िसे 2013 मे खोजा गया. ये चित्र लिये है जगदलपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री मनीष गुप्ता जी ने.

तीरथगढ झरने के पास ही नाके पर कुटूमसर गुफा जाने का मार्ग है, वही नाके पर गाईड आदि का शुल्क अदा कर गाइड के मार्गदर्शन मे गुफा का भ्रमण किया जा सकता है। अक्तुबर से जून माह तक ही गुफा मे प्रवेश संभव है बाकी दिनो पानी से भरी रहती है. यह गुफा बस्तर ज़िले मे है , जगदलपुर से कुल दुरी 40 किलो मीटर है. स्वयं के वाहन से जाना ज्यादा उचित है.
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