कोटरी नदी
बस्तर की नदियाॅ उगले सोना......!
मेरे देश की धरती सोना उगले , उगले हीरा मोती मेरे देश की धरती, उपकार फिल्म का यह गाना तो आप सभी ने सुना ही होगा। इसी तर्ज पर यहां बस्तर की नदियां भी सोना उगलती है।
बस्तर की कोटरी नदी एक ऐसी नदी है जिसमें सोने के कण मिलते है। कई पीढ़ियों से सोनझरिया समाज के लोग कोटरी नदी की बालू से सोने के कण निकालने का कार्य करते आ रहे है। कोटरी नदी राजनांदगांव जिले के मोहला तहसील से निकलकर कांकेर नारायणपुर में प्रवाहित होती है।
यह नदी इन्द्रावती की प्रमुख सहायक नदी है। इस नदी को परलकोट नदी के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गकोंदल क्षेत्र में बहने वाली यह नदी छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद परलकोट के जमींदार गेंदसिंह की शहादत का स्मरण कराती है।
यह नदी इन्द्रावती की प्रमुख सहायक नदी है। इस नदी को परलकोट नदी के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गकोंदल क्षेत्र में बहने वाली यह नदी छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद परलकोट के जमींदार गेंदसिंह की शहादत का स्मरण कराती है।
यह नदी उत्तर बस्तर की प्यास बुझाते हुये सोनझरिया लोगों को रोजगार उपलब्ध कराती है। सोनझरिया लोगो नदी की मिटटी को डोंगीनुमा छोटे बर्तनों में एकत्रित कर लेते है। उसमें से महिन कणों को धोकर एवं छान कर अलग कर लेते है। उन महिन कणों को पिघलाया जाता है। कणो को पिघलाकर सोने का रूप दिया जाता है जिसे क्वारी सोना कहा जाता है। कोटरी नदी में यह सोना कहां से आता है इसकी अभी तक कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।
इसके अलावा बस्तर के शबरी नदी में भी सोने के कण पाये जाते है। प्राचीन नल-नाग युगीन बस्तर में भी सोने के सिक्के चलते थे। अभी कुछ दिनों पहले सुकमा में सोने के सिक्कों से भरे हुये दो कलश मिले थे।
सच में मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती यह गीत बस्तर के संदर्भ में बिलकुल सच साबित होता है। लेख कापी पेस्ट ना करें अधिक से अधिक शेयर करें।
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