चंदन जात्रा

चंदन जात्रा से गोंचा पर्व का आगाज......!

ओडिसा की तरह बस्तर में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े धुमधान से मनायी जाती है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा से पूर्व जितने भी अनुष्ठान होते है सभी अनुष्ठान श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक संपन्न किये जाते है। बस्तर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा गोंचा पर्व के नाम से विख्यात है। बस्तर में गोंचा महापर्व का शुभारंभ चंदन जात्रा अनुष्ठान से होता है। इस अनुष्ठान में भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है। इंद्रावती के पवित्र जल से भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र की प्रतिमाओं को स्नान कराया जाता है।


भगवान के विग्रहों को चंदन का लेप लगाया गया है। जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र की विग्रहों को स्थापित किया जाता है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ का अनसर काल प्रारंभ हो जाता है। यह अवधि कुल 15 दिन की होती है। इस पंद्रह दिवस में भगवान के दर्शन वर्जित रहता है। ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा के चंदन जात्रा एवं देवस्नान के बाद भगवान बीमार हो जाते है। 13 जुलाई के दिन भगवान जगन्नाथ को काढा पिलाया जाता है। उस दिन नेत्रोत्सव में भगवान दर्शन देते हैं.
देवस्नान एवं चंदनजात्रा के साथ बस्तर के ऐतिहासिक पर्व गोंचा का आगाज हो जाता है। बस्तर में राजा पुरूषोत्तम देव के समय से बस्तर में गोंचा पर्व बड़े धुमधाम से मनाया जा रहा है। बस्तर के 360 आरण्यक ब्राहमण समाज में द्वारा बहुत भव्य स्तर पर धुमधाम से गोंचा पर्व मनाया जाता है। जिसमें बस्तर का प्रत्येक नागरिक बड़े उत्साह उमंग एवं श्रद्धा के साथ सम्मिलित होता है।............ओम ! फोटो - जिस किसी ने भी लिये उसे सादर धन्यवाद। जय जगन्नाथ !

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