भालू

कांकेर के भालू.....!

कांकेर के भालू शीर्षक से मतलब सिर्फ कांकेर के भालू से नहीं वरन पूरे बस्तर में पाये जाने वाले भालूओं से है। बस्तर में कांकेर ऐसा क्षेत्र है जहां भालू की सर्वाधिक उपस्थिति देखने को मिलती है। कांकेर कुल 12 पहाड़ियों में बसा हुआ शहर है। इन पहाड़ियों के बनी हुई प्राकृतिक गुफायें भालूओं के रहवास के लिये आदर्श स्थल है। कांकेर में आप हर जगह , किसी भी समय भालू देख सकते है। सप्ताह में शायद ही ऐसा कोई दिन नहीं होगा जिस दिन कांकेर में भालू ना दिखाई दे।

भालू भारत में लगभग हर जगह पाये जाते है। छत्तीसगढ़ के अधिकांश जंगली क्षेत्रों में भालू विचरण करते हुये दिखाई पड़ते है। बस्तर में कांकेर के अलावा कटेकल्याण, भैरमगढ़, बारसूर, नारायणपुर , कांगेरघाटी लगभग सभी जगह भालू दिखाई पड़ते है। कांकेर में भालू आपको सड़क पार करते हुये, पहाड़ो पर दौड़ लगाते हुये, सुबह मार्निग वाक में, कुयें में नहाते हुये, पेड़ पर धमाल मचाते हुये, मौसमी फल खाते हुये , बगीचों में टहलते हुये जरूर दिखाई देंगे। कांकेर वासी भी भालूओं के साथ घुलमिल गये है। वन विभाग के कर्मचारी आये दिन भालूओं को रहवास क्षेत्रों से दुर करने की मशक्कत करते रहते है।
भालू के लंबे लंबे काले घने बाल, पैने नुकीले नाखुन, सुंधने की गजब क्षमता वाली लंबी सी नाक होती है। उनका अन्य प्रसिद्ध नाम रीछ भी है। रामायण में जामवंत जो कि रीछो के सरदार थे ने अपनी पुरी रीछ सेना के साथ भगवान राम का साथ दिया था।

इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तीव्र होती है। देखने में भारी भरकम लगने के बावजूद भालू तेज़ी से दौड़ सकते हैं और इनमें पेड़ों पर चढ़ने और पानी में तैरने की भी अच्छी क्षमता होती है।भालू झुण्ड के बजाय अकेला रहना पसंद करते हैं। भालू ज़्यादातर दिन के समय ही सक्रिय होते हैं। अपने छोटे भालू शावकों की सुरक्षा के लिये मादा भालू ज्यादा खतरनाक होती है उससे दुर ही रहना ज्यादा उचित है।
मेरा दो तीन बार भालू से आमना सामना हो चुका है। क्या आपने कभी भालू देखा है यदि हां तो कहां और न हीं तो कभी कांकेर आईये भालू से मुलाकात हो जायेगी। अधिक से अधिक शेयर करें। आप हमें इंस्टाग्राम में भी फालो कर सकते है। 

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