एक सुरा - “सुराम“
एक सुरा - “सुराम“
आज की पोस्ट राज शर्मा जी के द्वारा, इस पोस्ट के लिये राज शर्मा को विशेष धन्यवाद एवं हृदय से आभार।
सुराम एक पेय पदार्थ है जो मुख्यतः बस्तर संभाग के सभी जिलों में पीया जाता है। दिखने में ये गहरा भूरा एवं लाल रंग का होता है। स्वाद में हल्का मीठा-खट्टा एवं कसैला सा होता है। इसे बस्तर के आदिवासी बढ़े चाव से पीते है, इनका मानना है कि इसके पीने से शरीर मे खून की मात्रा बढ़ती है एवं शरीर बलिष्ट बनता है।
हर मौको पे पिये जाने वाला ये सुराम घर में ही तैयार किया जाता है। आदिवासी महिलायें सुराम को हाट बाजार में बेचने के लिये लाती है जिससे उन्हे अच्छी खासी आमदनी हो जाती है।
“सुराम बनाने के लिये मुख्य आवश्यकता है महुवे की। महुवे को धो कर इसे सुखा लिया जाता है फिर इसे कड़ाई में भूनकर देर शाम तक पानी के साथ उबाला जाता है तथा फिर उसे उतार कर ढक लिया जाता है। अब इसे छान कर दूसरी हांडी में डाल दिया जाता है। इसमें कुछ लोग आम की फांक का भी कभी कभी प्रयोग करते हैं। जितनी देरी से इसका सेवन होगा उतना ही अधिक नशा सिर पर चढेगा।
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