सोनई -रूपई

सोनई -रूपई का तालाब, गढ़िया पहाड़ कांकेर......!

कांकेर बस्तर से अलग एक रियासत थी, इसका अपना रोचक इतिहास है। कांकेर शहर के गढ़िया पहाड़ की अपनी ऐतिहासिक गाथा है। गढ़िया पहाड़ 700 साल पहले कांकेर राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। सोमवंशी राजाओ के बाद धरमन नाम के कंडरा जाति के सरदार ने कांकेर की सत्ता अपने हाथ में ले ली।
धरमन धर्मदेव के नाम से 1345 से 1367 ई तक कांकेर पर राज किया। कंडरा राजा के नाम से चर्चित धर्मदेव ने गढ़िया पहाड़ को अपनी राजधानी बनाकर किले का निर्माण कराया था। आज भी वहां किले के अवशेष बिखरे पड़े है।


गढ़िया पहाड़ पर एक तालाब भी है। इस तालाब के साथ एक रोचक कथा जुड़ी हुई है। धर्मदेव कंडरा राजा ने अपनी प्रजा के जलापूर्ति के लिये पहाड़ पर एक तालाब खुदवाया, पर तालाब में पानी ज्यादा दिन ठहरता नहीं था, वह जल्द ही सुख जाता था।
धर्मदेव की दो बेटियां सोनई और रूपई एक दिन उस सूखे तालाब में खेल रही थी। तब अचानक देवीय संयोग से, सूखा तालाब पानी से लबालब हो गया, वहां खेल रही सोनई और रूपई दोनो तालाब में डूबकर मर गई , इस घटना के कारण यह तालाब सोनई रूपई तालाब के नाम से जाना जाता है।
इसका एक छोर सोनई और दुसरा छोर रूपई कहलाता है। इस तालाब की खासियत यह है कि कितनी भी भीषण गर्मी क्यो ना हो, यह तालाब कभी सुखता नहीं है। यहां ऐसी अन्य मान्यता भी प्रचलित है कि तालाब का पानी सुबह सोने की तरह एवं शाम को चांदी की तरह चमकता है। मैने सन 2010 में इस तालाब को देखा था। गढ़िया पहाड़ पर सोनई रूपई तालाब के अलावा सिंहद्वार, जोगी गुफा, फांसी भाठा आदि ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल भी हे। ........ओम !
इस तालाब की फोटो के लिये श्री शिवम अवस्थी जी को बहुत बहुत धन्यवाद।

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