तीरथगढ़

झरनों का गढ़ - तीरथगढ़ ........!

बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में झरनों का अपनी खुबसूरत दुनिया है। धरा पर सूर्य की किरणे तक पहुंचने नही देने वाले, इस घने जंगल में असंख्य छोटे मोटे झरने है।

कुछ तो खोजे जा चुके है और कुछ की खुबसूरती अब भी दुनिया के समक्ष आने को शेष है।
बस्तर के झरनों के बारे में यदि कभी कहीं कोई चर्चा हो तो उसमें ये दो झरनों का नाम जरूर आता है- पहला है चित्रकोट और दुसरा तीरथगढ़।
बचपन में मैने जब तीरथगढ़ नहीं देखा था तब तक मैं तीरथगढ़ का अभिप्राय किसी तीर्थ स्थान को ही समझता था, कोई मंदिर जैसा कोई धार्मिक स्थल होगा ऐसी ही मेरी इसके प्रति समझ थी। जब मैने तीरथगढ़ को देखा तब पता चला यह तो झरना है। बहुत ही बड़ा झरना है।
वास्तव में तीरथगढ़ छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े झरनों में से एक है। लगभग 300 फीट की उंचाई से गिरती रजत जलधाराये , फिसलपटटी समान चटटानों पर मोतियों के रूप में झरते हुये बहती है। छोटी छोटी बुंदे मोती के रूप में बिखर जाती है।

तीरथगढ़ मुनगा और बहार नदियों के संगम पर बसा छोटा सा गांव है। इस मुनगाबहार नदी के विशाल झरने का नामकरण इस गांव के उपर ही तीरथगढ़ जलप्रपात हो गया है।

इस जलप्रपात में छोटे मोटे कुल सात झरने है। इन झरनों के बीच एक टापू है। टापू पर पुराने मंदिर बने हुये है। यह तीरथगढ़ झरनो का तीरथ है। झरनो का तीरथ ही तीरथगढ़ जलप्रपात है।
इस जलप्रपात के उपर से कांगेर घाटी के हरी भरी वादियों के सुंदर दृश्य मन को मोह लेते है।

बरसात के दिनों में अत्यधिक पानी होने के कारण इस झरने का रूप बहुत ही विकराल और भयानक हो जाता है। ंवहीं सितंबर माह से इसका पानी चांदी की तरह चमकता है।

झरने में नीचे उतरने के लिये सीढ़ियां बनी हुई है। झरनों के आसपास लाल मुंह वाले बंदरों का समुह हमेशा आपके स्वागत के लिये तैयार बैठा रहता है।

यह तीरथगढ़ पारिवारिक भ्रमण और पिकनिक के लिये बेहद ही आदर्श स्थल है। अक्टूबर के बाद तीरथगढ़ भ्रमण के साथ कांगेर घाटी राष्ठ्रीय उद्यान, कांगेर जलधारा, कुटूमसर, आरण्यक, दंडक गुफायें भी देख सकते है।

इस जलप्रपात में सावधानी रखने की अत्यंत आवश्यकता है। थोड़ी सी लापरवाही में आप अपनी जान गंवा सकते है। यहां पर ऐसे बहुत सी दर्दनाक घटनायें हो चुकी है। झरने में बिलकुल भी ना उतरे, किनारे खड़े होकर नीचे ना झांके, अधिक पानी हो तो बिलकुल भी नहाने के लिये ना उतरे। इन बातों का विशेष ध्यान रखे।

किसी भी मौसम इस जलप्रपात के सौंदर्य को निहारा जा सकता है। जगदलपुर से केशलूर होते हुये 35 किलोमीटर दुर तीरथगढ़ तक आसानी से स्वयं के वाहन से पहुंचा जा सकता है। 
----ओम !

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