गढ़िया
अनजाना बस्तर- गढ़िया ....!
बस्तर में अनदेखी एवं संरक्षण के अभाव में बहुत से ऐतिहासिक मंदिर आज ध्वस्त हो चुके है या फिर ध्वस्त होने की कगार पर है। इनके जीर्णोद्धार एवं संरक्षण के लिये शायद किसी को रूचि नहीं है।
आलम तो यह है कि बहुत से मंदिरो की जानकारी शासन को दुर, आम लोगों को भी नहीं है। एक तरफ तो टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न तरह के कार्यक्रम किये जाते है वहीं जब बात ऐतिहासिक मंदिरों के मरम्मत एवं जीर्णोद्धार की आती है तो सब को सांप सूंध जाता है।
ऐसा ही एक मंदिर है गढ़िया का शिव मंदिर। गढ़िया बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लाक में छोटा सा ग्राम है। गढ़िया नागयुगीन बस्तर में एक महत्वपूर्ण दुर्ग था। चक्रकोट के महान नृपति छिंदक नागवंशी शासक राजभूषण सोमेश्वर देव ने 1097 ई में गढ़िया ग्राम में शिव मंदिर का निर्माण करवाया था।
पूर्वाभिमुख यह मंदिर गर्भगृह अंतराल और मंडप में विभक्त था जिसमें मंडप पूर्णतः ध्वस्त हो चुका है। गर्भगृह का मात्र ढांचा ही शेष है। साल भर पहले गढ़िया के किसी आसामाजिक तत्व ने इस मंदिर के बाहर रखे शिलालेख को टूकड़े टूकड़े कर दिया।
बस्तर के ऐतिहासिक विरासत को मटियामेट करने की साजिश का एक हिस्सा यह भी है। चित्रकोट जलप्रपात जाने से पूर्व गढ़िया ग्राम जाकर इस मंदिर को देखा जा सकता है।गढ़िया लोहंडीगुड़ा से 05 किलोमीटर दुर कोड़ेनार जाने वाले मार्ग में है। जगदलपुर से इसकी दुरी 40 किलोमीटर है।
शासन को गढ़िया के शिव मंदिर का जीर्णोद्धार करके इसे चित्रकोट टूरिज्म सर्किट में जोड़ना चाहिये, शिलालेख को पुनः जोड़कर संग्रहालय में रखना चाहिये....!
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