दोरला के मकान
गर्मी के अनुकूल होते है दोरला आदिवासियो के मकान .........! बस्तर में आदिवासियों की विभिन्न जनजातिया निवास करती है। दोरला,गोंड, मुरिया माड़िया भतरा परजा आदि जनजातियों की अपनी सामाजिक एवं सांस्कृतिक विशेषताये ंहै। जो एक दुसरे से अलग करती है। इनके रहन सहन तौर तरीके के अंतर में बस्तर की भौगोलिक स्थिति का भी महत्वपूर्ण योगदान है। बस्तर के दक्षिण क्षेत्र में बीजापुर और सुकमा जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में आदिवासियों की दोरला जनजाति निवास करती है। बीजापुर के उसूर ब्लाक में दोरलाओं की आबादी अधिक है। जैसे जैसे हम दक्षिण की ओर बढ़ते जाते है वैसे वैसे गर्मी बढ़ती जाती है। उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत अधिक गर्म है। गर्मी का यह अंतर मध्य और दक्षिण बस्तर में स्पष्ट तौर पर दिखता है। दक्षिण बस्तर आंध्र तेलंगाना की सीमा से लगे होने के कारण बेहद गर्म क्षेत्र है और इसी सीमावर्ती क्षेत्र में दोरला आदिवासी सदियों से रहते आ रहे है। सैकड़ो सालों से वहां रह रहे दोरला आदिवासियों ने तेज गर्मी से निजात पाने के लिये दोरलाओं ने अपने को उसी के अनुसार ढाल लिया है। शहरी क्षेत्रों में तेज गर्मी और चुभन से बचने के लि...