बंजारिन

मां बंजारिन बास्तानार......!

बस्तर के विभिन्न पहाड़ों में भी माता के कई मंदिर हैं, और हर आने जाने वाला यहां दो पल के लिए जरूर रुकता है। इन्ही पहाड़ियों में एक है मां बंजारिन का मंदिर, जो बास्तानार के वनाच्छादित पहाड़ों के मध्य बंजारिन घाट में प्रतिष्ठित है।

जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर जगदलपुर-बीजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्र.16 पर पहाड़ियों के बीच बंजारिन घाट है। माता का मंदिर गीदम से 10 किलोमीटर दुर जगदलपुर मार्ग पर है। बंजारिन घाट लगभग 15 किलोमीटर लंबा है।
घाटी की उंचाई से दूर बैलाडिला की पहाड़ियों के मनमोहक दृश्य दिखाई पड़ते है।  घाटी के मध्य मां बंजारिन का पुराना मंदिर है। देवी के प्रति क्षेत्र के लोगों में बड़ी आस्था है।

चैत्र और क्वांर नवरात्रि में माता की विशेष पूजा होती है। बंजारीघाट के जोखिम भरे रास्ते से गुजरने वाले वाले वाहन चालक निर्विघ्न यात्रा की कामना के साथ इस मंदिर के सामने रुकते हैं और देवी की अर्चना पश्चात ही आगे बढ़ते है। इसी तरह लोग केसकाल बारह भांवर घाट और दरभा के झीरम घाट में रूक कर मां तेलिनसत्ती की पूजा कर आगे बढ़ते हैं।

इन देवियों को बस्तर के अलावा बाहर के लोग भी पर्याप्त सम्मान देते हैं। ऐसे भक्तों ने ही बंजारी घाट, केसकाल घाट और झीरम घाट के मंदिरों को संवारा है।
मंदिर में देवी एवं भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमायें स्थापित है। बंजारिन घाट की हरी भरी वादियों में माता के दर्शन से अपार शांति मिलती है!

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