पैड़ी
चलन से बाहर पैर की पैड़ी......!
बस्तर ही नहीं वरन पुरी दुनिया में धीरे धीरे पुराने आभूषणों का चलन खत्म होता जा रहा है। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पुराने परंपरागत गहनों का चलन कायम है। आज के समय में महिलायें पैरों में फैंसी पायल पहनना पसंद करती है वहीं मध्य बस्तर के कुछ गांवों में आज भी महिलायें पैरों में पुराने दौर की पैड़ी पहनती है।
पैड़ी बेहद मजबूत एवं ठोस चांदी से बनी होती है। पैड़ी बनाने के लिये पुराने समय में महिलायें चांदी के सिक्को को इकटठा करती थी। फिर उन सिक्कों को गलाकर पैड़ी बनायी जाती थी। पैड़ी बनाने के लिये विशेष तरह के सांचे होते थे जिनमें चांदी को गलाकर पैड़ी का आकार दिया जाता था। यह पैड़ी काफी मजबूत होती है। इसे पहनाने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ती है। पैड़ी को पैरों में डालकर इसके जोड़ों को ठोक कर मिलाया जाता था। पैड़ी के जोड़ो को खोलने के लिये भी रस्सी बांध कर विपरित दिशा में खींचना पड़ता है।
अधिक वजनी और चलन ना होने के कारण आजकल पैड़ी देखने को नहीं मिलती है। लोककलाओं में कलाकारों द्वारा पहनी हुई गिलट की पैड़ी ही आजकल देखने को मिलती है।
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