तोयर झरना
बस्तर का अनजाना सा तोयर झरना......!
शानदार मनमोहक झरनों से बसी हुई दुनिया कोई है तो वह बस्तर ही है। हर दस किलोमीटर में एक झरना अपनी कलकल ध्वनि से पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसा ही एक झरना है तोयर जलप्रपात जो कि सिर्फ आवाज से ही अपनी ओर लोगों को खींचता है।
झाड़ियों की झुरमूट से ही इस निर्झर की आवाज कानो तक पहुंचती है। जब झाड़ियो में बनी पगड़डी से आगे बढ़ते है तब इसे झरने के पूर्ण सौंदर्य का दीदार हो पाता है।
50 फीट की उंचाई लिये यह झरना बेहद ही खुबसूरत है। चारो तरफ धने जंगलो से घिरा यह झरना जंगल में मधुर संगीत सुनाता है। अधिक प्रचार प्रसार ना होने के कारण बहुत ही कम लोग इस झरने की सुंदरता से परिचित है।
दंतेवाड़ा से कटेकल्याण फिर थोड़ा आगे परचेली के पास ही तोयनार ग्राम है इस ग्राम में ही तोयर नाले पर बना यह तोयर झरना है। कम उंचाई होने के बावजूद भी बेहद ही मनमोहक है। बस्ती से बेहद लगा हुआ है फिर घनी झाड़ियों के कारण नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। झरने के उपर एक छोटी सी गुफा है।
इस झरने को प्रकाश में लाने का श्रेय मेरे मित्र जितेन्द्र नक्का को है। उन्होने ही मुझे इस झरने के बारे में बताया था। कटेकल्याण से परचेली के रास्ते लगभग 12 किमी और बस्तर जिले के छिंदावाड़ा से 17 किमी दूरी पर यह जलप्रपात स्थित है।कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान से लगा हुआ होने की वजह से यहां की जलवायु भी एक समान है। दरभा-कटेकल्याण स्टेट हाईवे पर तीरथगढ़ ग्राम से यह स्थान लगभग 17 किलोमीटर दूर है।
वैसे इस झरने में अप्रैल तक पानी रहता है। दंतेवाड़ा से कटेकल्याण होते हुये तीरथगढ़ जाने पर आप पोन्दुम झरना, तोयर झरना और चिंगीतराई के ऐतिहासिक मंदिर के दर्शन करते हुये नीजि वाहन से कभी भी जा सकते है।
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