मंडया केकड़ा
बस्तर का मंडया केकड़ा........!
जब मैं छोटा था, तब केकड़ा और बिच्छू दोनो को एक ही जीव समझता था। केकड़े और बिच्छु के सामने के काटने वाले दोनो पंजे एक जैसे ही है, इस कारण भ्रम होता था। बाद में पता चला केकड़ा पानी में रहता है और टेढ़ा चलता है और बिच्छू डंक मारता है। परन्तु दोनों के सामने के पंजे शिकार को टूकड़ो में काटने के ही काम आता है। एक बार केकड़े ने मेरी उंगली काट दी थी तब से मुझे उस दर्द का अहसास है।
केकड़ा बरसात के दिनों में खेतों में अक्सर अपने बिलों के सामने दिखाई पड़ता है। ये केकड़े आकार में छोटे होते है। बस्तर के घने जंगलो में बड़े आकार के केकड़े पाये जाते है। ये पहाड़ी नदी नालों के खोह में रहते है। यहंा स्थानीय भाषा में इस केकड़े को मंडया केकड़ा कहा जाता है।
बस्तर के हाट बाजारों में मंडया केकड़ा जिंदा ही बेचा जाता है। बडे़ पैमाने पर आजकल यह मैदानी इलाकों के शहरों में भेजा जा रहा है। बताया जाता है कि केकड़ा का सूप बनाने लोग इसे खरीदते हैं।
केकड़ा खाने वाले लोग मंडया केकड़ा का सूप ज्यादा पसंद करते हैं इसलिए बारिश के बाद इस केकड़े की मांग बढ़ जाती है। यह केकड़ा साप्ताहिक बाजारों में बड़ी संख्या में बिकता है। आम धारणा है कि मंडया केकड़ा का सूप पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
इसके चलते ही ग्रामीण मंडया केकड़ा का सूप प्रसूति महिलाओं को भी पिलाते हैं। केकड़ा 50 रूपए जोड़ी के दर से बिकता है। इसे बांस की टोकरी में या कच्चे बांस में बांध कर लोग बाजार में बेचने लाते है। इस बड़े आकार के केकड़े के संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाना जरूरी है वरना यह केकड़ा भी दुर्लभ जीवों की श्रेणी में शामिल हो जायेगा।
OM SONI
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