बहादुर कलारीन की माची

बहादुर कलारीन की माची , चिरचारी, बालोद। 

 ओम सोनी


बालोद जिले में बालोद से गुरूर रोड में अन्दर की ओर चिरचारी नाम का गांव है. यह पत्थरो से बना एक मंडप था जो कि बहुत ही जीर्ण शीर्ण था।  वर्तमान में यह पुरा बिखर गया है। यहां प्रचलित कथा के अनुसार कभी कोई हैहयवंशी राजा यहां शिकार खेलने के लिये आया था। वह गांव की बहादुर कलारीन पर मोहित हो गया था. बाद में दोनो ने गंधर्व विवाह कर लिया। बहादुर कलारीन गर्भवती हो गई थी।  राजा ने उसे इसी अवस्था में छोड कर वापस अपने राज्य में चला गया। बहादुर कलारीन ने एक बालक को जन्म दिया। उसने उसका नाम कचान्छा रखा।
पत्थरो से बना एक मंडप


वह जब बडा हो गया तो उसने अपनी माँ से अपने पिता के बारे में पुछा तब बहादुर कलारीन ने अपने साथ घटित घटनाओ के बारे अपने बेटे को बताया।  तब कचान्छा को सभी राजाओ से नफरत हो गई। उसने अपना सैन्य संगठन खडा किया और आसपास के सारे राजाओ पर हमला कर दंडित किया।

 एक बार उसने एक राजा पर हमला कर उसकी बेटियो को बन्दी बना लिया। बहादुर कलारीन ने अपने बेटे को उन निर्दोष राजकुमारियो को छोडने के लिये कहा।  परंतु बेटा नहीं माना। तब उस बहादुर कलारीन ने अपने बेटे को खाने में जहर देकर मार दिया ओर उसके पश्चाताप में खुद ही कुएँ में कुद कर आत्म हत्या कर ली।  उसी के याद में यह मंडप या माची बनाई गई थी। यह स्मारक 15 वी सदी का अनुमानित है। 

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