किरारी गोढ़ी का शिव मंदिर बिलासपुर
किरारी गोढ़ी का शिव मंदिर बिलासपुर......!
बिलासपुर के समीप किरारी गोढ़ी में प्राचीन मंदिर के पास पहुंचने पर मुझे बड़ी निराशा हुयी। इसलिये क्योकि वहां मंदिर के नाम पर सिर्फ एक दिवार ही शेष बची थी। बाकि सब पहले ही नष्ट हो गया था। नाले के किनारे बना यह मंदिर पश्चिमाभिमुख है जिसमें मंदिर की सिर्फ पूर्वी दिवार ही शेष है।
किन्तु मंदिर की यह दिवार भी बेहद उच्चकोटि की कलात्मक प्रतिमाओं से सुसज्जित है। दिवार पर लगी प्रतिमाओं ने तो दिल जीत लिया। प्रतिमाओं को देखने से मन की निराशा थोड़ी दुर हुयी।
किन्तु मंदिर की यह दिवार भी बेहद उच्चकोटि की कलात्मक प्रतिमाओं से सुसज्जित है। दिवार पर लगी प्रतिमाओं ने तो दिल जीत लिया। प्रतिमाओं को देखने से मन की निराशा थोड़ी दुर हुयी।
नटराज की प्रतिमा द्वादश भुजी नृत्यमुद्रा में प्रदर्शित है। प्रतिमा के दाये तरफ के छः हाथो में सिर्फ 5 हाथ ही शेष है जिसमें खेठक, अस्त्र, दंड, घ्यानमुद्रा एवं त्रिशुल पकड़े हुये है। बांये तरफ के सिर्फ दो ही हाथ शेष है जिसमें खप्पर एवं दंड पकड़े हुये है।
सिर पर जटामुकुट, माथे में नेत्र, मुंछे चढ़ी हुयी, कानो में कुंडल, गले में हार, मुडमाला, वक्षमाला, पैरों में सर्प का कड़ा प्रदर्शित है। हरिहरहिरण्यगर्भ की प्रतिमा षटभुजी है जिनके हाथो में त्रिशुल, कमलदल, शंख, सर्प एवं चक्र धारण किये हुये है। प्रतिमा के नीचे चौकी में छः घोडे़ एवं सारथी अरूण प्रदर्शित है।
मंदिर परिसर में ही अन्य भग्नावशेष एवं प्रतिमायें रखी गयी है। मंदिर के नाम पर सिर्फ एक दिवार ही शेष है। किन्तु उस दिवार पर जड़ी हुयी प्रतिमाओं को देखने से यह प्रतीत होता है कि पुरा मंदिर आकर्षक प्रतिमाओं से सुसज्जित रहा होगा।
यह मंदिर अपनी पूर्ण अवस्था में उच्च कोटि की स्थापत्यकला का सुंदर उदाहरण रहा होगा। यह मंदिर किरारी और गोढ़ी नामक गांवों के बीच् में स्थित है जिसके कारण इसे किरारी गोढ़ी का शिवमंदिर कहा जाता है। इतिहासकारों ने इस मंदिर का निर्माण काल कल्चुरियों के शासन अवधि में 11-12 वी सदी माना है।
यह मंदिर अपनी पूर्ण अवस्था में उच्च कोटि की स्थापत्यकला का सुंदर उदाहरण रहा होगा। यह मंदिर किरारी और गोढ़ी नामक गांवों के बीच् में स्थित है जिसके कारण इसे किरारी गोढ़ी का शिवमंदिर कहा जाता है। इतिहासकारों ने इस मंदिर का निर्माण काल कल्चुरियों के शासन अवधि में 11-12 वी सदी माना है।
.....ओम सोनी
Comments
Post a Comment