मृतक स्मारक
चित्र बहुत कुछ कहते हैं.......!
बस्तर के जनजातीय समाजो मे मृत्यु के बाद स्मारक स्थापित करने की परंपरा आदि काल से चली आ रही है. मृतक स्मारको के बहुत से प्रकार यहाँ प्रचलित है. आज कल पत्थर की पतली शिलाओ का उपयोग मृतक स्तम्भ बनाने के लिये किया जा रहा है. मृतक को दफ़नाने के बाद उसकी समाधि पर इन शिलाओ को स्मारक के रूप मे लगाया जाता है. इन शिलाओ पर मृतक की स्मृतियाँ, रोजमर्रा की चीजे, पशु पक्षी, पुरानी बाते, कल्पना से भी परे जीव जन्तु आदि के रंगीन चित्र उकेरे जाते है.
ये चित्र हजारो साल पुराने शैलचित्रो के समान ही है.जिसे आदिवासियो ने आज भी सहेज रखा है. पीढ़ी दर पीढ़ी ये चित्र हस्तांतरण होते रहते है. बाप दादाओ से सुने हुए किस्से भी इन चित्रो मे दिखायी देते है. ये चित्र प्राचीन शैल चित्रकला के जीवन्त उदाहरण है.
चित्रो से भरे ये मृतक स्मारक मृतक की जीवनी के साथ साथ कुछ पुराने किस्सो को भी दर्शाते हैं. उदाहरण के लिये इस स्मारक के चित्रो की नीचे वाली पंक्ति मे काले टोप एवं लाल वर्दी पहने, बन्दुक धारी अंग्रेज सैनिकों को दिखाया है, उसमे से कुछ को तीर भी लगा है, यह चित्र बतलाता है कि आजादी से पहले बस्तर मे अंग्रेज सिपाहियों एवं यहाँ के आदिवासियों मे कोई युद्ध हुआ था जिसमे आदिवासियो ने तीर धनुष से उनका मुकाबला किया था. कुछ अंग्रेजो पर सटीक निशाना भी लगा था. इस मृतक ने यह किस्सा अपने बाप दादाओ से सुना होगा, या यह खुद उस घटना का साक्षी रहा होगा.
ऐसी अनजानी कहानियों से भरे हुए बहुत से मृतक स्मारक बस्तर मे दिखाई पड़ते है. पहले तो श्मशान मे जाने से डर लगता था, अब जहाँ भी ये दिखते है तो इनकी फ़ोटो जरुर ले लेता हूँ. मैने तो इसमे एक चित्र पहचान कर बता दिया, आप इसे गौर देखिये, इसमे और क्या क्या चित्र बने हुए जरुर बताइये .......ओम!
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