जीर्णोद्धार

मंदिर का जीर्णोद्धार......!

दंतेवाड़ा में शंखिनी डंकिनी के संगम पर स्थापित मां दंतेश्वरी का मंदिर सदियों पुराना है। इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप पूर्व के कई जीर्णोद्धारों का परिणाम है। आज से 10-15 साल पहले का मंदिर परिसर और वर्तमान में मंदिर परिसर में काफी अंतर है जिसे आप सभी ने देखा है।


लेकिन आजादी से पहले इस मंदिर का जीर्णोद्धार कब हुआ था इसकी जानकारी बहुत ही कम लोगो है। माता भुवनेश्वरी देवी मंदिर के बाहर एवं अंदर लगे हुये शिलालेख इस मंदिर के जीर्णोद्धार के मूक गवाह है। आप में से कुछ लोगो का ध्यान इन शिलालेखों पर गया होगा। मंदिर के बाहर दरवाजे का पास के शिलालेख की भाषा अंग्रेजी है वहीं मंदिर के अंदर वाला शिलालेख हिन्दी में लिखा गया है।


इस शिलालेख में लिखित लेख के अनुसार इस मंदिर का पुर्ननिर्माण 1932-33 के दरम्यान किया गया था ,उस समय बस्तर की शासिका महारानी प्रफुल्लकुमारी थी, उनके पति श्री प्रफुल्लचंद्र भंजदेव का नाम सहयोगी के रूप में अंकित है। डी0आर0 रतनम आई0सी0एस0 थे जो कि बस्तर के एडमिनिस्ट्रेटर के पद पर थे, वहीं मुंशी उमाशंकर एस0डी0ओ0 के पद पर थे। ज्ञात हो कि महारानी प्रफुल्लकुमारी बस्तर की प्रथम महिला शासिका थी उन्हें छत्तीसगढ़ में भी पहली महिला शासिका होने का भी गौरव प्राप्त है।
1921 में महाराजा रूद्रप्रताप देव की मृत्यु के बाद उनकी पुत्री प्रफुल्लकुमारी बस्तर की शासिका बनी थी। जिस समय उनकी आयु मात्र 11 वर्ष थी। महारानी के द्वारा कराये गये प्रमुख कार्यो में से एक दंतेवाड़ा के मंदिरों का जीर्णोद्धार भी है। महारानी प्रफुल्लकुमारी 1921 से लेकर 1936 तक बस्तर की शासिका रही , 1936 में लंदन में अपेंडिस रोग के कारण उनका देहावसान हो गया था, उस समय 7 वर्ष की आयु में प्रवीरचंद भंजदेव का राज्याभिषेक किया गया था। .........ओम !

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