पिसवा

पिसवा- बैग......!

पिसवा कोई खाने पीने की चीज नहीं है और ना ही कोई मनोरंजन की वस्तु। पिसवा बांस से बना एक बैग है। एक झोले की तरह है जिसे कंधे पर लटका कर रखा जाता है। जहां आज नायलोन, चमड़े एवं कपड़े से बने हुये झोले या छोटे बैग का चलन है वही बस्तर के जनजातीय समाज में आज भी यदाकदा बांस से बने पिसवा बैग कंधे पर लटका दिखाई देता है।
बांस का आदिवासी जीवन में महत्व इतना अधिक है कि जनजातीय समाज में रोजमर्रा जीवन की अधिकांश उपयोगी वस्तुये बांस से ही बनायी जाती है। यह पिसवा भी बांस की पतली खपचियों से बना हुआ है जिसे छोटे से बैग के आकार में बनाया गया है। ।
इस पिसवा बैग में पानी की बोतल, पैन , डायरी आदि उपयोगी वस्तुये रखी जाती है। सदियों से बस्तर के जनजातीय समाज में इस तरह के बांस से बने सामानों का चलन रहा है किन्तु वर्तमान समय में अन्य विकल्पों के कारण पिसवा जैसे अन्य कई उपयोगी वस्तुये अब चलन से बाहर हो गई है।
कभी कभार किसी मेले या अन्य आयोजन में किसी के कंधे पर लटका पिसवा दिख जाता है। कल केसकाल के भंगाराम माई के दरबार में मुझे एक व्यक्ति के कंधे पर लटका पिसवा दिखाई दिया तो कुछ तस्वीरे ले ली। आप भी कुछ बताईये पिसवा के बारे में.......ओम!

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