बस्तर दशहरा

नारफोड़नी एवं पिरती फारा की रस्म.......! विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व में सिरासार चैक में विधि-विधानपूर्वक नारफोड़नी रस्म पूरी की जाती है। इसके तहत कारीगरों के प्रमुख की मौजूदगी में पूजा अर्चना की जाती है। इस मौके पर मोगरी मछली,अंडा व लाइ-चना अर्पित किया जाता है। साथ ही औजारो की पूजा की जाती है। । पूजा विधान के बाद रथ के एक्सल के लिए छेद किए जाने का काम शुरू किया जाता है। विदित हो कि रथ के मध्य एक्सल के लिए किए जाने वाले छेद को नारफोड़नी रस्म कहा जाता है। गौरतलब है कि 75 दिनों तक चलने वाला यह लोकोत्सव पाटजात्रा विधान के साथ शुरू हुआ था। इसके बाद डेरीगड़ाई व बारसी उतारनी की रस्म पूूरी की गई। पिरती फारा बस्तर दशहरा के लिए इस बार चार पहियों वाला रथ सिरहासार के सामने तैयार किया जाता है। इस कार्य में झारा और बेड़ा उमरगांव से पहुंचे करीब 150 कारीगर लगते हैं। पिरती फारा की रस्म में पहले निर्माणाधीन रथ के सामने बकरे की बलि दी जाती हैं। रथ निर्माण में लगे कारीगरों ने सॉ मिल से चिरान कर लाकर करीब 25 फीट लंबे तथा वजनी फारों को बड़ी सावधानी से ऊपर चढ़ाया जाता है। बताया जाता है क...